प्रथम प्रकार की कल्पना के अंतर्गत दिवास्वप्न और मानसिक उड़ानें आती हैं जिनकी सहायता से व्यक्ति एक काल्पनिक जगत् का निर्माण करता है, जो वास्तविक जगत् की तुलना में उसकी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
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प्रथम प्रकार की कल्पना के अंतर्गत दिवास्वप्न और मानसिक उड़ानें आती हैं जिनकी सहायता से व्यक्ति एक काल्पनिक जगत् का निर्माण करता है, जो वास्तविक जगत् की तुलना में उसकी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।